Dudhanatha Singh Ka Sahitya INR 560.00
Book summary
विगत अर्द्ध शताब्दी से हिन्दी साहित्य की कहानी, समीक्षा, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, संस्मरण आदि सभी विधाओं में अपने समकालीन लेखकों को पछाड़ते हुए दूधनाथ सिंह का रचनात्मक और समीक्षात्मक साहित्य एक विलक्षण धरोहर के रूप में चिरस्मरणीय रहेगा। जितना विपुल और समृद्ध दूधनाथसिंह के द्वारा रचित रचनात्मक और समीक्षात्मक साहित्य रहा है, उतनी ही उपेक्षा इनके साहित्य के सम्बन्ध में समीक्षाकों और शोधकर्त्ताओं ने प्रदर्शित की है। लेखक ने इसी उपेक्षा का निवारण और एक अनगाहे क्षेत्रा का असीम कौशल से अवगाहन करते हुए इनके समूचे साहित्य के 'कथ्य' और 'शिल्प' दोनों की अत्याधिक परिपक्व और प्रमाणिक विश्लेषण इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है।