Kabir INR 156.00
Book summary
विरक्ति और अनासक्ति’ की अनुभूति में कितना संतोष है। भोग की अपेक्षा त्याग। अमीरी की अपेक्षा ‘फकीरी’। ‘सान्त’ की अपेक्षा ‘अनन्त’। ससीम की अपेक्षा असीम में सुख है। अमीरी एक सीमा है और फकीरी सीमा-हीन। अमीरी एक बन्धन है फकीरी मुक्ति। अमीरी चिंता और चिता है। फकीरी एक अल्मस्त मस्ती। अमीरी एक उन्माद है, पागलपन है और फकीरी एक स्वतंत्र गान। अमीरी एक अन्धी दौड़ है और फकीरी मूक शान्ती। कबीरदास जी की इस फकीरी की मस्ती में डूबने और डूबाने का करबद्ध आग्रह, विनम्र उन्माद और सहज प्रतीति इस पुस्तक की विषय-वस्तु है।