Dr. Jagadish Gupt Aur Unaka Brajabhasha Kavy INR 360.00
Book summary
आधुनिक काल में ब्रजभाषा के सुष्ठु एवं परिनिष्टिठ छंदो में ‘छंद-शती’ की रचना करने वाले डॉ॰ जगदीश गुप्त ‘सनेही-स्कूल’ के उत्तरावर्ती कवियों में ‘विश्व’ उपनाम से प्रसिद्ध थे। ब्रज के छंदो और नयी कविता के दो छोरों के बीच डॉ॰ गुप्त साहित्य, संस्कृति, पुरातत्त्व, चित्रकला, ज्योतिष, अध्यात्म के विराट संसार के साथ लगातार सक्रिय, सतर्क और जीवन्त बने रहें। वे स्वयं एक संस्था थे। प्रायः ऐसे संतुलित साधक एक किस्म की गुरुता या बोझिल व्यक्तित्त्व धारण कर लेते हैं- निस्पृह, उदासीन, सांसारिकता के प्रति कृत्रिम या अकृत्रिम रूप से अन्यमनस्क! किन्तु जगदीश गुप्त जी साहित्य के गुरु थे, किसी किस्म की ‘गुरुता’ अथवा ‘बोझल’ से सर्वथा मुक्त। अत्यन्त सहज, सरल, आत्मीय और छोटे से छोटे को भी ईमानदारी से पहचानने तथा स्वीकारने वाले।